विद्वानों का काल
कपड़ा, मकान, रोटी -दाल इसमें बीता विद्वानों का काल।। जिम्मेदारियों और अपेक्षाओं के बोझ को लादे हुए, कृत्रिम सपनों के फांदे लिए। विस्तृत असीमित राह का राही, एक संकीर्ण डगर पर चले पुरानी चाल।। कपड़ा, मकान, रोटी -दाल, इसमें बीता विद्वानों का काल।। भव्य जिंदगी की दौड़ में, बेहतर पैसे, बेहतरीन कारें, बेहतर मकान - एक अंधाधुंध होड़ में। संसाधन से समृद्ध, फिर भी घोर कंगाल, आत्मा श्वेत और चेहरा लाल।। कपड़ा, मकान, रोटी -दाल, इसमें बीता विद्वानों का काल।। - अरुणिमा १०-९-२०२३