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Showing posts from 2024

Eternal....

 Hope looked pale, gasping for breath. Trust exhausted,  lost the strength. Faith scattered, shivering and trembling. Life broke again, pieces need assembling. Emotions engulfed in a fog.  Heartbeats race, limbs slog. A void in the vastness,silence piercing the noise. Struggling with breaths to keep up the poise. Painted Hope again in a vivid colour. Fuelled Trust with a brand new vigour. Cajoled Faith with sagas of its might. Took his arms gently to hold on tight. Heartbeats settled, limbs took the charge. With lifted spirit, there is a new path to barge.  It's all intact within, the cracks are external. Evolving and moving on the journey that's eternal.

मां

 रक्त में शक्ति बन बहता 'लोहा' मां, चंद शब्दो मे अथाह गहराई वाली 'दोहा' मां।। कोख की मिट्टी, दूध की शक्ति - जीवन का 'आधार' मां, वाणी में, सोच में - जीवन-शैली में बसा 'संस्कार' मां।। जीवन दाव पे लगा के देती जीवन दान मां, बलिदान भी नतमस्तक हो, ऐसा वो 'बलिदान' मां।। जीवन में नमक का 'स्वाद' मां, भाग्य से मिलता दैविक ' प्रसाद ' मां।। ममता, साहस, बलिदान, त्याग, उर्जा -- सबके लिए 'मिसाल' मां, सब मिसाल हो जाते फीके , ऐसी होती है  'बेमिसाल ' मां।।।

शिव - पुरुषत्व और नारीत्व

 आदिदेव शिव। काल के चक्र से परे अनंत शिव। कहते हैं कि इस ब्रह्माण्ड की शुरुआत एक ऊर्जा से हुई थी। उस ऊर्जा को शिवशक्ति के नाम से जाना गया। सर्व गुण संपन्न शिवशक्ति। एक दूसरे में समालीन शिवशक्ति। फिर सृष्टि की संरचना के लिए शिव और शक्ति प्रतीकात्मक रूप में अलग हुए। उनके आदर्श, गुण और चेतना कभी अलग नहीं हुए। और सारी शंकाओं को दूर करने के लिए आदिदेव ने अर्धनारीश्वर का रुप लिया।। पता नहीं कब और कहां से समाज में एक धारणा आ गयी।‌शिव को पुरुषत्व की पराकाष्ठा के रूप में देखा जाने लगा और पूजा जाने लगा। इस धारणा ने एक विकृत रूप भी ले लिया। गुणों और प्रतिभाओं को पुरुष और नारी के बीच विभाजित किया जाने लगा। धारणाएं बनती गयी और सामाजिक रिवाजों ने मुहर लगा के उन्हें सशक्त कर दिया। पुरुष और नारी के बीच भेदभाव को बढ़ावा दिया। और भोलेनाथ तो भेदभाव से बिल्कुल परे रहे। वो तो सुर- असुर, नर, देव, मुनि जन सबके अराध्य रहे। दशानन के अराध्य भी शिव ही थे। और दशरथ नंदन ने भी युद्ध के पहले शंभु की ही पूजा की थी। पशुओं से भी उनका प्रेम उल्लेखनीय रहा है। करुणा और ममता को नारी की झोली में डालने वाले कही भूल गये क...

सबके राम

 किसी के लिए मूर्ति में राम, किसी के निःस्वार्थ भक्ति में राम।। पिता का अभिमान राम, पत्नी का सम्मान राम। माता का स्नेह राम, भाई -बहनो का नेह राम।। किसी के आदर्श, किसी के साध्य। किसी के आत्मज, किसी के अराध्य।। सृष्टि के कण कण में राम, जीवन के हर क्षण में राम। हर्ष में राम, रुदन में राम, जन्म में राम, मरण में राम।। संघर्ष में राम, उत्कर्ष में राम। जीवन के निष्कर्ष में राम।। तन में राम, मन में राम, आज करोड़ों स्नेह भरे नयन में राम।।।     ।। जय श्रीराम।।

फुर्सत की तंगी

  वक्त के बटुए में आजकल ' फुर्सत ' की तंगी है।। जिम्मेदारियां, कर्तव्य, डेडलाइन्स और कमिटमेंट्स के नोट भरे जा रहे हैं, 'मस्ती' और 'सुकुन' के सिक्के कहीं खामोश कोने में दुबक पड़े हैं।। वक्त के बटुए में आजकल ' फुर्सत ' की तंगी है।। छत पर तौलिया सुखाते 'रेड हेड इंडियन बुलबुल'का घोंसला नज़र आया, बीते वर्ष की तरह वहीं कोना, वहीं पौधा, पीठ दिखाकर बुलबुल नाराज़ सी बोली-  " इस साल मेजबानी फीकी है। नेह से निहारा नहीं"। क्या करें, वक्त के बटुए में आजकल ' फुर्सत ' की तंगी है।। मेज़ पर पड़ी चीज़ें बुला रही हैं। किताबों की एक ढ़ेर - अटलजी की कविताएं, गुलजार की पंद्रह पांच पचहत्तर, दीवाने - ग़ालिब ़़... एक अधूरी चित्रकारी, कुछ अधूरी रचनाएं, ...सब खिसियायी सी, रुठी नज़र आ रही हैं। क्या करे वक्त के बटुए में आजकल ' फुर्सत ' की तंगी है। अंदरुनी चाहत की फिर से वही दस्तक - " चल अदरक  वाली चाय पे मिलते हैं,  कुछ पन्ने टटोलते हैं, कुछ लिखते और गुनगुनाते हैं, एक दोपहर 'आलसी" बिताते हैं"। फिर इस न्यौते को कल के लिए टाल दिया।।...