डिजिटल जीवन
डिजिटल दौर का इंसान
बौराया, पगलाया, परेशान।।
अफ़रा-तफ़री, आनन-फानन
'आनलाइन' और ' आफलाइन ' में बंटा जीवन।।
मन में बैठा ' फोमो ' का गहरा डर
गिरता - पड़ते, लड़खड़ाते, हांफते 'रेस' में रहने का 'प्रेशर'।।
'रीलस', 'शॉटस' और 'पोस्टस' में हर दिन बीता
आनलाइन में रमा हुआ, असल जीवन से लापता।।
"माइ लाइफ, माइ च्वाइस" को सहुलियत से अपनाया है
झाड़ बोझ जिम्मेदारी के, कंधे को हल्का बनाया है।।
होंठ अब बतियाते नहीं, 'सेल्फी' में 'पाउट' बनाते हैं
'एमोजी' के अंबार में जज़्बात ढूंढे जाते हैं।।
रिश्तों में है चुभता सन्नाटा, 'सोशल मीडिया ' पे प्रेम का शोर है
'पर्सनल' जीवन के पलों में " पब्लिक लाइक्स ' बटोरने की होड़ हैं।।
'फिटनेस गोल', 'रिलेशनशिप गोल', :कैरियर गोल' --गोल पे बने गोल
गोल के पीछे ऐसे पागल, जिंदगी हुई डमा डोल।।
'इंफ्लुएंशरस से उधार लेकर अपना 'बकेट लिस्ट' भरते हैं
'कापी कैट' बन 'ट्रेडिंग' चीजों का, कितना फक्र करते हैं।।
बड़े बुजुर्गो की बातों को अनसुना कर, उन्हें 'आउटडेटेड' बता दिया
पुरानी नुस्खों और जीवनशैली को 'मार्डन हेल्थ टिप्स' का चोंगा पहना दिया।।
'फ्री थींकिंग' और 'प्रोग्रेसिव' होते-होते, इतना सब सिकुड़ने लगे
धरातल पर पैर जमता नहीं, बनावटी आकाश में उड़ने लगे।।
हर पल 'इंडिविजुअलिजम ' और ' लिबरेशन 'का दम भरते हैं
विडंबना ऐसी कि 'सोशल मीडिया' पे 'लाइक्स 'और 'वेलिडेशन के लिए मरते हैं।।
डिजिटल जीवन का इंसान
बौराया, पगलाया, परेशान।।।
Comments
Post a Comment