Posts

Showing posts from August, 2025

कृष्ण

 बंसी बजैया,  रास रचैया, नटखट भोले-वाले मुरारी। दुष्टो का नाश करने  काल बनते है सुदर्शनधारी।। राधा की प्रीत बने, बने रुक्मणी का अधिकार।  प्यारी सखी द्रौपदी के एक-एक सुत का चुकाया उधार। । दुखिया के मुखिया वो, वो है निर्बल का बल। मीरा का अटूट भरोसा वो, निःसंकोच हो पीया गरल।। सारे रिश्ते-नाते को निभाते वो, सब मे है बट जाते। सौप यदु सेना दुर्योधन को, हो निहत्थे पार्थ के सार्थ बन जाते।। जैसी भावना, जैसी भक्ति, हम उसे उसी रूप मे पाते है। ढूंढो तो अपने आसपास किसी रिश्ते मे कृष्ण मिल ही जाते है।।। अरुणिमा १६-८-२०२५

अदृश्य डोर

 कुछ बांधे है मुझे तुझसे, एक महीन सी सख्त डोर। प्रेम का, आस्था का, भावनाओं का, समर्पण और भक्ति का निचोड़। । है बस तेरा आसरा, तू एकमात्र सहाय,  है निर्भय मन मेरा, मेरी रक्षा करे शिवाय। ।।               _ अरूणिमा             ९/८/२०२५