अदृश्य डोर

 कुछ बांधे है मुझे तुझसे, एक महीन सी सख्त डोर।

प्रेम का, आस्था का, भावनाओं का,

समर्पण और भक्ति का निचोड़। ।

है बस तेरा आसरा, तू एकमात्र सहाय, 

है निर्भय मन मेरा, मेरी रक्षा करे शिवाय। ।।

    

         _ अरूणिमा

            ९/८/२०२५


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